भोजन की तरह साधना जरूरी, मिलती है असली शक्ति

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साधना के सरल मार्ग, सफलता पानी है तो अवश्य जानें
साधना के सरल मार्ग, सफलता पानी है तो अवश्य जानें।

Sadhna for Intact energy : भोजन की तरह साधना भी जरूरी है। इससे मनुष्य को मानसिक शक्ति मिलती है। शारीरिक बल के लिए जैसा भोजन है। मानसिक शक्ति के लिए साधना वैसी ही है। आदिकाल में देव, दानव व मानव नियमित तप करते थे। आज जिम का महत्व बढ़ गया है। लोग सिर्फ शरीर के प्रति सजग हैं। अच्छी बात है। लेकिन इसके साथ मानसिक स्वास्थ्य भी जरूरी है। उसकी कमी है। इससे तनाव में लोग बिखर जाते हैं। डिप्रशन व आत्महत्या की प्रवृत्ति इसी कारण है।

आज सिर्फ शरीर पर ध्यान

आज शरीर की ताकत महत्वपूर्ण मानी जाती है। लोग मल्टी विटामिन लेकर फिट बनते हैं। पहले योग, ध्यान और तपस्या पर ध्यान देते थे। इससे आध्यात्मिक शक्तियां हासिल करते थे। यह प्रक्रिया जीवन भर चलती रहती थी। उचित साधना से मनचाहा परिणाम मिलता है। साधना हमें अपार शक्तियों का स्वामी बनाती है। बुद्ध, तीर्थंकर, गोरखनाथ, शंकराचार्य व परमहंस ने यही किया। साधना के बल पर महामानव बने।

शिव तप और विष्णु योगनिद्रा से पाते शक्ति

पौराणिक कथाओं को याद करें। शिव अक्सर हिमालय पर साधना में लीन रहते थे। उनकी साधना का कोई समय नहीं था। अवसर मिला, ध्यानस्थ हो गए। विष्णु की योगनिद्रा से सभी परिचित हैं। योगनिद्रा में विघ्न न हो, इसलिए उस दौरान पूजा भी वर्जित है। पार्वती ने घोर तपस्या करके शिव को पाया। देवताओं को हवन-यज्ञ से शक्ति मिलती है। हवन-यज्ञ में कमी होते ही वे कमजोर हो जाते थे।

साधना शौक नहीं जरूरत

साधना शौक की वस्तु नहीं, जरूरत है। यह मानव के लिए बेहद उपयोगी है।  हमें प्रतिकूल स्थिति में लड़ने की ताकत देती है। शरीर को स्वस्थ रखने के साथ मानसिक ऊर्जा देती है। शोध से स्पष्ट हुआ कि ध्यान मस्तिष्क के लिए संजीवनी है। योग और प्राणायाम तन-मन की क्षमता बढ़ाता है। लगातार साधना आयु के साथ स्वास्थ्य को ठीक रखती है। दूसरे शब्दों में कहें तो भोजन की तरह साधना भी जरूरी है।

तपस्या के बल पर राक्षस अजेय बनते रहे़

तपस्या का महत्व हिरण्यकश्यप, तारकासुर, महिषासुर और रावण जैसों के जीवन से समझ सकते हैं। उन्होंने तपस्या से जबर्दस्त शक्तियां अर्जित कीं। उनका मुकाबला करने लायक दुनियां में कोई नहीं था। यहां तक कि देवी-देवताओं को भी छिपकर अपनी रक्षा करनी पड़ी। भगवान को उन्हें मारने के लिए विशेष स्थिति की रचना करनी पड़ी। कई बार तपस्या से राक्षस अजेय से हो गए। तब उनके वध के लिए सभी देवताओं को अपनी शक्ति मिलानी पड़ी।

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