वटुक भैरव मंत्र
मनोकामना पूर्ति के लिए वटुक भैरव का मंत्र बेहद उपयोगी होता है। भगवान वटुक भैरव शीघ्र प्रसन्न होते हैं। भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। भीषण संकट से रक्षा भी करते हैं। महाविद्या की साधना में चूक होना गंभीर है। उसमें साधक को कुफल भोगना पड़ता है। सिर्फ वटुक भैरव इस दोष से बचा सकते हैं। अतः उनकी पूजा व साधना कल्याणकारी है। फिलहाल उनका एक सरल मंत्र दे रहा हूं। इसक जप कभी भी कर सकते हैं। अधिक फल चाहिए तो रात्रि 11 से 2 बजे के बीच करें। यदि समस्या सामान्य हो तो रोज एक हजार जप करें। गंभीर होने पर छह लाख जप करें। मनोकामना हो तो भी इतने का ही संकल्प लेकर जप करें। जप से पूर्व वटुक भैरव का ध्यान करें। मंत्र निम्न है।
वटुक भैरव ध्यान
कपाल हस्तं भुज गोपवीतं कृष्णच्छविं दण्डधरं त्रिनेत्रं।
अचिन्त्य माद्यं मधुपान सक्तं हृदि स्मरेद् भैरवभिष्ट दम् तम्।
मंत्र
ऊं अं क्लीं वीं रं ध्रुवं घ्रीं ह्रीं वटुक भैरवाय नम: स्वाहा।
काली का प्रभावी मंत्र
काली के बारे में कुछ भी कहना कम होगा। पहली महाविद्या का प्रभाव सबसे ज्यादा है। उनकी साधना की संक्षिप्त जानकारी पहले दे चुका हूं। यहां एक कल्याणकारी मंत्र दे रहा हूं। इसका आसान जप कभी भी किया जा सकता है। तेज प्रभाव के लिए रात्रि 11 से 2 बजे के बीच करें। शुद्ध होकर साफ आसन पर बैठें। 51 मंत्रों का जप ही बड़े संकट से मुक्ति दिलाता है। मनोकामना पूर्ति के लिए अमोघ है। जप से पूर्व दस बार काली गायत्री कर लें।
काली गायत्री
ऊं कालिकायैच विद् महे शमशान वासिन्यैच धीमहि तन्नो घोरा प्रचोदयात।
मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं शीं कालीश्वरी सर्वजन मनोहारिणी सर्वमुख स्तंभिनी सर्वराज वशंकरि सर्व दुष्ट निर्दलनि सर्व स्त्रीपुरुषा कर्षिणि वधीश्रृंखला स्त्रोटय त्रोट्य सर्वशत्रून् भंजय भंजय द्वेषीन् निर्दलय निर्दलय सर्वान् स्तंभय स्तंभय मोहना स्त्रेण द्वेषिण मुच्चाट्य उच्चाटय सर्वं वशं कुरू कुरू स्वाहा। देहि देहि देहि सर्वं कालरात्रि कामिनी गणैश्वर्ये नम:।
गणेश के मंत्र
गणेश जी विद्यार्थियों के लिए फलदायी हैं। जिनकी शिक्षा में बाधा आ रही है। जिनका पढ़ने में मन नहीं लग रहा है। मेहनत के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं मिल रहा है। गणेश की उपासना बहुत प्रभावी होती है। यहां एक स्त्रोत्र की जानकारी दे रहा हूं। इसे विद्यार्थी रोज स्नान कर एक बार पाठ करें। उससे पहले गणपति का ध्यान कर लें। सफलता मिलने तक इसे जारी रखें। मनोकामना पूर्ति के लिए यह प्रभावी है। निश्चित रूप से फायदा मिलेगा।
स्त्रोत्र
ओंकार प्रणव स्वरूप निर्गुण ब्रह्म प्रभु वरदमूर्ति-भगवान श्री गजानन
नारद उवाच-
प्रणम्य शिरसादेवं गौरीपुत्रं विनायकम्। भक्त्यावासं स्मरेन्नित्य मायु:
कामार्थ सिद्धये।
प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदंतं द्वितीयकम। तृतीयं कृष्ण पिंगाक्षं
गजवक्त्रं चतुर्थकम्।
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च। सप्तमं विघ्नराजं च धुम्रवर्णं तथाष्टकम्।
नवमं भालचंद्रं च दशमंतु विनायकम्। एकादशं गणपतिं द्वादशंतु गजाननम्।
द्वादशैतानी नामानि त्रिसन्ध्यं य: पठेन्नर:। नास्ति विघ्न भयं तस्य सर्व
सिद्धिं लभेद ध्रुवम्।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्। पुत्रार्थी लभते पुत्रान्
मोक्षार्थी लभते गतिम्।
जपन् गणपति स्तोत्रं षडमिमांसै: फलं लभेत। संवत्सरेण सिद्धिं च लभेत मात्रं संशय:।
अष्टाभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वा य: समर्पयेत। तस्य विद्या भवेत सद्यो
गणेशस्य प्रसादत:।
महालक्ष्मी का मंत्र
माता लक्ष्मी धन की देवी हैं। उनकी उपासना से धन लाभ होता है। यहां महालक्ष्मी का एक प्रभावी मंत्र दे रहा हूं। साथ ही उसके प्रयोग विधि भी बता रहा हूं। धन संबंधी मनोकामना पूर्ति के लिए यह अत्यंत प्रभावी है। इससे साधक को निश्चय ही लाभ होता है।
माता महालक्ष्मी मंत्र
ऊं श्रीं श्रीं श्रीं कमले कमलायै प्रसीद श्रीं ऊं महालक्ष्मयै नम:।
प्रयोग विधि
बुधवार शाम को लक्ष्मी जी का आवाहन करें। दीप और अगरबत्ती जलाकर पूजन करें। उन्हें लाल कनेर या लाल गुलाब का फूल चढ़ाएं। इसके बाद खड़े होकर 108 बार जप करें। यह क्रिया लक्ष्य प्राप्त होने तक हर बुधवार को दोहराएं।