Ardhanarishwar form of Shiva : जानें शिव के अर्धनारीश्वर रूप का रहस्य? इसमें छिपा संदेश क्या है? ये सवाल लगते तो गूढ़, लेकिन हैं अत्यंत सरल। शिव और शक्ति कहने को दो हैं। उनमें कोई अंतर नहीं है। वे एक होकर ही पूर्ण होते हैं। शिव बिना शक्ति और शक्ति बिना शिव अधूरे हैं। शिव अकर्ता हैं। वे सिर्फ संकल्प करते हैं। शक्ति कारक हैं। वे संकल्प सिद्ध करती हैं। दोनों मिलकर ही पूर्ण होते हैं।
स्त्री-पुरुष की समानता का संदेश
महादेव ने इस रूप के माध्यम से संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि नर और नारी समान हैं। दोनों एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। परिवार और समाज के लिए दोनों महत्वपूर्ण हैं। दोनों को समान अधिकार और सम्मान मिलना चाहिए। उनकी स्थिति में असंतुलन से सृष्टि असंतुलित होगी। यही है शिव के अर्धनारीश्वर रूप का रहस्य।
ब्रह्मा की प्रार्थना पर लिया अर्धनारीश्वर रूप
प्रारंभ में ब्रह्मा ने मानसिक रूप से मनुष्य की उत्पत्ति की थी। ऐसा मनुष्य अपनी आयु के बाद नष्ट हो जाता था। नए सृजन के लिए ब्रह्मा को बार-बार सृजन करना पड़ता था। इसमें विस्तार की कोई गुंजाइश नहीं थी। तब ब्रह्मा ने शिव की प्रार्थना व तपस्या शुरू की। प्रसन्न शिव ने अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन दिया। इसमें नर रूप में शिव और नारी रूप में शिवा थीं।
सृष्टि के विकास व विस्तार के लिए अलग हुए
अर्धनारीश्वर ने ब्रह्मा को सृष्टि विकास का रहस्य समझाया। इसके लिए प्रजननशील प्राणी की आवश्यकता बताई। फिर शिव ने अपने शरीर से शिवा को पृथक किया। शिवा ने अपने तेज से एक नारी रूप का निर्माण किया। उस शक्ति ने दक्ष की पुत्री के रूप में जन्म लिया। फिर बना सृष्टि का मौजूदा रूप।
भृंगी ने दुनिया को कराया अर्धनारीश्वर रूप से परिचय
भृंगी ऋषि शिव के परम भक्त थे। इसलिए सिर्फ उन्हीं की पूजा करते थे। इस क्रम में वे शक्ति की अवहेलना करते थे। एक बार शिव की परिक्रमा के क्रम में माता पार्वती को छोड़ दिया। तब शिव ने अर्धनारीश्वर रूप धारण कर लिया। भृंगी इसका संदेश नहीं समझ सके। उन्होंने चूहा बनकर बीच से रास्ता बनाने की कोशिश की। तब पार्वती ने उन्हें शाप दिया। शाप से भृंगी के माता से मिला शरीर का अंश खून और मांस अलग होकर गिर पड़ा। भृंगी जमीन पर गिर पड़े। तब उन्हें मातृशक्ति का अर्थ समझ में आया। इसके माध्यम से शिव ने दुनिया को नारी के महत्व का संदेश दिया। उन्होंने साफ किया वे एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्हें अलग रूप में देखना और मानना गलत है।
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