सुहागिनों के 16 श्रृंगार के अर्थ व प्रासंगिकता जानें

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रात्रि में विवाह की परंपरा अनुचित
रात्रि में विवाह की परंपरा अनुचित।

16 makeup of suhagins : सुहागिनों के 16 श्रृंगार के अर्थ व प्रासंगिकता जानें। पढ़ें कि हिंदू स्त्रियों के लिए 16 श्रृंगार क्यों जरूरी है? अधिकतर लोग इसे सुहाग चिह्न भर ही मानते हैं। सुहागिनों के लिए इन्हें धारण करना अनिवार्य माना जाता रहा है। हालांकि अब इसका विरोध भी होने लगा है। नई पीढ़ी के लोग इसे बेकार कहने लगे हैं। युवतियां गुलामी का चिह्न कहती हैं। इस लेख में इसी विषय पर चर्चा करूंगा। 16 श्रृंगार क्या है? हर एक श्रृंगार का क्या महत्व है? इसे धारण करने के पीछे क्या तर्क है? इसमें मान्यता के आधार पर विचार दिए जा रहे हैं। दो अंक तक चलने वाले इस आलेख को पढ़कर पाठक स्वयं निर्णय लें।

पहला श्रृंगार : बिंदी

बिंदी शब्द संस्कृत के बिंदु से निकली है। इसे ललाट पर भवों के बीच लगाया जाता है। इसमें सिंदूर या कुमकुम का प्रयोग होता है। सुहागिन लाल बिंदी को जरूरी मानती है। इसे परिवार की समृद्धि से जोड़ा जाता है। धार्मिक रूप से यह शिव के त्रिनेत्र की प्रतीक है। इसे सुहागिन स्त्रियों की भूमिका से जोड़ा जाता है। वे परिवार के लिए तीनों कालों को देखकर फैसले लेती हैं। मान्यता है कि बिंदी लगाने से आज्ञा चक्र सक्रिय होता है। इससे स्त्री को ऊर्जावान बनने में सहायता मिलती है।

दूसरा श्रृंगार : सिंदूर

सुहागिनों के 16 श्रृंगार में सिंदूर अहम है। इसको सुहाग चिह्न माना जाता है। विवाह के दौरान पति महिला की मांग में सिंदूर भरता है। ऐसा करते हुए वह जीवन भर साथ निभाने का वचन देता है। बाद में महिला उसके नाम पर मांग में सिंदूर लगाती है। मान्यता है कि लाल सिंदूर सहस्रचक्र को सक्रिय रखता है। यह मस्तिष्क को एकाग्र कर उसे सही दिशा देता है। साथ ही वह रक्तचाप को नियंत्रित करता है। तापमान को नियंत्रित कर दिमाग को ठंडक देता है।

तीसरा श्रृंगार: काजल

काजल आंखों का श्रृंगार है। इससे उसकी सुंदरता बढ़ती है। मान्यता है कि काजल बुरी नजर से बचाता है। इसे लगाने से स्त्री बुरी नजर बची रहती है। काजल से आंखों के कई रोगों में बचाव होता है। इससे आंखों को ठंडक मिलती है। इसके साथ ही यह सूर्य की तीखी किरणों व धूल-मिट्टी से बचाता है। हालांकि आज बाजार में उपलब्ध काजल की पहले जैसी गुणवत्ता नहीं रही। पहले उसे घर में ही बनाया जाता था।

चौथा श्रृंगार : मेहंदी

मेहंदी के बिना सुहागन का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। विवाह के समय दुल्हन मेहंदी रचाती है। मान्यता है कि मेहंदी जितनी गाढ़ी रचती है, पति उतना ज्यादा प्यार करता है। इसके अनुसार मेहंदी का रंग दंपति के प्रेम से जुड़ा है। अर्थात मेहंदी का रंग लाल व गहरा होना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार मेहंदी तनाव दूर रहने में सहायक है। उसकी ठंडक और सुगंध खुश व ऊर्जावान बनाती है। सुहाग चिह्न का विरोध करने वाले भी मेहंदी को पसंद करते हैं। बाजार में हाथों से लेकर बालों तक में लगाने के लिए मेहंदी उपलब्ध है।

पांचवा श्रृंगार : शादी का जोड़ा

सुहागिनों के 16 श्रृंगार में लाल जोड़ा प्रमुख है। वह जरी के काम से सुसज्जित होता है। कुछ क्षेत्र में पीले रंग की साड़ी शुभ मानी जाती है। महाराष्ट्र में हरा रंग शुभ माना जाता है। उनकी बात फिर कभी। फिलहाल लाल रंग की बात। लाल रंग शुभ, मंगल व सौभाग्य का प्रतीक है। इसीलिए शुभ कार्यों में इसका प्रयोग होता है। लाल रंग शक्तिशाली व प्रभावशाली है। इसके उपयोग से एकाग्रता बनी रहती है। यह आपकी भावनाओं को नियंत्रित करता है। इससे स्थिरता आती है।

छठा श्रृंगार : गजरा

दुल्हन के जूड़े में सुगंधित फूलों का गजरा लगाया जाता है। इसके बिना श्रृंगार फीका सा लगता है। दक्षिण में तो सुहागिन रोज गजरा लगाती हैं। गजरा धैर्य व ताजगी देता है। सुहागिनों को एकाग्र बनाता है। नकारात्मक विचारों से उसे दूर रखता है। सुगंध से मन में ताजगी आती है। वैसे भी फूलों की महक सबको आकर्षित करती है। तनाव को दूर करने में सहायक होती है।

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सातवां श्रृंगार : मांग टीका

सुहागिनों के 16 श्रृंगार में मांग टीका अहम है। मांग में पहना जाने वाला यह आभूषण है। सिंदूर के साथ मिलकर सुंदरता बढ़ाता है। इसे वधू के लिए मार्गदर्शक माना जाता है। मान्यता है कि इससे वह सीधे रास्ते पर चलेगी। बिना किसी पक्षपात के सही निर्णय लेगी। मांगटीका को यश व सौभाग्य से जोड़ा जाता है। यह भी मान्यता है कि यह तापमान को नियंत्रित करता है। इससे सही निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है।

आठवां श्रृंगार : नथ

नाक में पहनने वाला वाले आभूषण को नथ कहते हैं। यह बड़े आकार का होता है। रोज पहनने के लिए नोज पिन का प्रयोग किया जाता है। इसे लौंग भी कहते हैं। इसे स्वास्थ्य से जुड़ा माना जाता है। मान्यता है कि नथ पहनने से पति का स्वास्थ्य ठीक रहता है। घर के धन-धान्य में वृद्धि होती है। विधवा की नथ को उतार दिया जाता है। नाक छिदवाने से एक्यूपंक्चर का लाभ मिलता है। इससे श्वास संबंधी रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती है। कफ, सर्दी-जुकाम आदि में इससे लाभ मिलता है। महिलाओं को मासिक धर्म से जुड़ी परेशानियों में राहत मिलती है।

नोट-दो भाग में यह समाप्त होगा। दूसरा भाग कल पढ़ें।

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