कर्ण मातंगी साधना मंत्र से जानें भविष्य

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कर्ण मातंगी साधना मंत्र से जानें भविष्य
कर्ण मातंगी साधना मंत्र से जानें भविष्य।

Know the future with Karna Matangi Sadhana Mantra: कर्ण मातंगी साधना मंत्र से जानें भविष्य। साथ ही कुछ अन्य उपयोगी मंत्र को भी जानें। इसकी साधना विधि भी दे रहा हूं। यह शीघ्र फल देने वाली साधना है। साधक को माता भविष्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी स्वप्न में देती हैं। निष्काम भाव से साधना करने वालों पर माता कृपा बरसाती हैं। चूंकि फल आसानी से मिलता है, अत: साधक का निष्काम रहना कठिन होता है। फल आधारित साधना होने के कारण इसका असर जल्दी खत्म होने लगता है। अत: साधक को हर तीन या छह माह पर इसका पुन: जप कर लेना चाहिए। इनके कई मंत्र हैं। यहां अपने अनुभव किए हुए सिर्फ दो मंत्रों का ही उल्लेख कर रहा हूं।

कर्ण मातंगी मंत्र और साधना

ऐं नम: श्री मातंगि अमोघे सत्यवादिनि मककर्णे अवतर अवतर सत्यं कथय एह्येहि श्री मातंग्यै नम:।

या

ऊं नम: कर्ण पिशाचिनी अमोघ सत्यवादिनी मम कर्णे अवतर अवतर अतीत अनागत वर्तमानानि दर्शय दर्शय मम भविष्यं कथय कथय ह्रीं कर्ण पिशाचिनी स्वाहा।

साधना विधि : कर्ण मातंगी साधना मंत्र का ऐं बीज से षड़ंगन्यास करें। पुरश्चरण के लिए आठ हजार जप करें। कई बार प्रतिकूल ग्रह स्थिति रहने पर संख्या बढ़ानी पड़ती है। साधना के दौरान शारीरिक व मानसिक पवित्रता आवश्यक है। मुंह में इलाइची, लौंग या कुछ रखकर जप करें। इसमें हवन आवश्यक नहीं है। हालांकि उच्छिष्ट वस्तु (खीर या मांस-मछली) को प्रसाद के रूप में माता को ही चढ़ाकर उससे हवन करना अतिरिक्त शक्ति देता है। साधना के बाद माता भावी घटनाओं की जानकारी स्वप्न में देती हैं। इच्छुक साधक को माता से प्रश्न का जवाब भी मिल जाता है। निष्काम साधक का माता पथप्रदर्शन भी करती हैं।

कुछ अन्य उपयोगी मंत्र

आपने कर्ण मातंगी साधना मंत्र को जाना। अब दो और उपयोगी मंत्र एवं उसके प्रयोग विधि को समझें। इसे आजमा कर देखें। शीघ्र फायदे को प्रत्यक्ष अनुभव करें। ये मंत्र स्वयंसिद्ध हैं। जप के साथ ही फल देने लगते हैं। वैसे किसी भी सिद्ध मंत्र को प्रयोग में लाने से पूर्व भी 1100 जप अवश्य कर लेना चाहिए। तभी प्रयोगकर्ता उसके प्रयोग का सही हकदार बन पाता है।

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शिव मंजू घोष मंत्र व विधि

अ र व च ल धीं।

साधना विधि : आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं तो शिव का मंजू घोष उच्छिष्ट साधना करें। इससे आपको शीघ्र आर्थिक संकट से छुटकारा मिल जाएगा। भोजन के बाद थाली में बची सामग्री से उंगली के सहारे डमरू का आकार बनाएं। उसके ऊपर और नीचे उंगली से अ र व च ल धीं मंत्र लिखें। फिर उसी स्थिति में 108 बार इस मंत्र का जप करें। कुछ ही दिन में आर्थिक संकट से छुटकारा मिल जाएगा। संकट खत्म होने तक यह प्रयोग जारी रखें। कई लोगों ने इससे लाभ उठाया है।

उदर पीड़ा निवारक हनुमान मंत्र

जो जो हनुमंत धगधजित फलफलित आयुराष: खरूराह।

प्रयोग विधि :

यह मंत्र रामबाण की तरह असरकारक है। उदर रोगी की हालत में तत्काल सुधार होने लगता है। चौबीस घंटे में स्थिति संतोषजनक रूप से सुधरती नजर आती है। रोगी के पूरी तरह ठीक होने तक रोज दो बार करना चाहिए। इसके प्रयोग की निम्न दो प्रमुख विधियां हैं। इनमें से सुविधानुसार एक या दोनों का प्रयोग किया जा सकता है।  

1) 108 मंत्र का जप करते हुए रोगी के पेट पर ऊपर से नीचे की तरफ हाथ फेरें।

2) जल या गंगा जल को एक पात्र में रखकर 108 बार मंत्र जप कर अभिमंत्रित करें। इसके बाद उसे रोगी को पिलाएं।

नोट- आपने कर्ण मातंगी साधना मंत्र के साथ अन्य उपयोगी मंत्रों को भी जान लिया है। ये सारे मंत्र आजमाए हुए हैं। ये मंत्र प्रयोग शीघ्र फल देने वाले हैं।

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