महालक्ष्मी व्रत : धन पाने का अवसर

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जानें धनतेरस का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजन-कथा
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mahalaxmi vrat : कोरोना काल में सभी वर्ग के लोगों का कामकाज प्रभावित हुआ है। पैसे और रोजगार की समस्या लोगों के समक्ष मुंह बाए खड़ी है। ऐसे लोगों के लिए अपनी स्थिति सुधारने का अवसर भी उपलब्ध है। माता महालक्ष्मी के 16 दिन के व्रत और पूजन आपके लिए धन पाने का अवसर लेकर आया है। भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से कृष्णपक्ष अष्टमी तक चलने वाला व्रत उपयुक्त समय है। कुछ लोग इस व्रत लगातार 16 दिन करते हैं। पहले और अंतिम दिन व्रत कर बाकी दिन पूजा से भी धन पाने का अवसर बना सकते हैं।

शुभ मुहुर्त

वैसे तो आज कभी भी पूजा शुरू की जा सकती है लेकिन वर्ष 2020 में 25 अगस्त को दोपहर 12.21 बजे से अगली सुबह 10.36 बजे तक उपयुक्त समय है। इस अवधि में महालक्ष्मी की पूजा शुरू कर 16 दिन के व्रत और पूजन का आरंभ कर सकते हैं। चाहें तो आज एक दिन का बाकी दिन सामान्य पूजन कर फिर 10 सितंबर को पुनः व्रत और पूजन कर इसका उद्यापन कर सकते हैं।

धन पाने का अवसर देती हैं महालक्ष्मी

महालक्ष्मी प्रसन्न होने पर अपने भक्तों को धन-संपदा, सुख और ऐश्वर्य देती हैं। आज का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। आज ही के दिन महालक्ष्मी व्रत के साथ राधाष्टमी (राधा जयंती) और दूर्वाष्टमी भी है। माता को प्रसन्न करने के लिए यह अत्यंत अनुकूल समय होता है। पूरी भक्ति और श्रद्धा से व्रत और पूजन करने वालों को माता कभी निराश नहीं करती हैं।

ऐसे करें व्रत व पूजन

नहा-धोकर साफ जगह पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह कर बैठ जाएं। सामने माता की तस्वीर या प्रतीक रखकर कलश रखें। पूजन से पहले हाथ में हल्दी से रंगे 16 गांठ वाला रक्षा सूत्र बांधें। पूजा शुरू करने से पहले उसके समय, मात्रा और तरीके का संकल्प लें। माता के जो भक्त व्रत नहीं कर पा रहे हों वे पूजा को बढ़ाकर लाभ पा सकते हैं। इसका उद्यापन 16वें दिन अर्थात 10 सितंबर को होगा। बाकी देवताओं की तरह माता महालक्ष्मी का विसर्जन नहीं किया जाता। उन्हें अपने और घर में ही रहने की कामना की जाती है।

महालक्ष्मी पूजन के लिए कई मंत्र, चालीसा और कथाएं हैं। लेकिन इस अवसर के लिए उनके आठ नामों का जप श्रेयस्कर है। ये नाम हैं-ऊं आद्यलक्ष्म्यै नमः, ऊं विद्यालक्ष्म्यै नमः, ऊं सौभाग्यलक्ष्मयै नमः, ऊं अमृतलक्ष्म्यै नमः, ऊं कामलक्ष्म्यै नमः, ऊं सत्यलक्ष्म्यै नमः, ऊं भोगलक्ष्मयै नमः और ऊं योगलक्ष्म्यै नमः।


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